Gautama bhudha ( गौतम बुद्ध )

गौतम बुद्ध
बुद्ध का जन्म : गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ। उनकी माता कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी जब अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो उन्होंने रास्ते में लुम्बिनी वन में बुद्ध को जन्म दिया।

कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान के पास उस काल में लुम्बिनी वन हुआ करता था।

उनका जन्म नाम सिद्धार्थ रखा गया। सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे और उनका सम्मान नेपाल ही नहीं समूचे भारत में था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया क्योंकि सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद ही उनकी माँ का देहांत हो गया था।

बुद्ध की शिक्षा-दिक्षा : वैसे तो सिद्धार्थ ने कई विद्वानों को अपना गुरु बनाया किंतु गुरु विश्वामित्र के पास उन्होंने वेद और उपनिषद् पढ़े, साथ ही राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हांकने में कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता था।

बुद्ध का विवाह : शाक्य वंश में जन्मे सिद्धार्थ का सोलह वर्ष की उम्र में दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ विवाह हुआ। यशोधरा से उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम राहुल रखा गया। बाद में यशोधरा और राहुल दोनों बुद्ध के भिक्षु हो गए थे।

गौतम बुद्ध के काल में एक राजा था अजातशत्रु। एक समय जब
अजातशत्रु कई मुश्किलों से घिर गया,राजा मुसीबतों से
बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोज पा रहा था। इन
परेशानियों के कारण अजातशत्रु की चिंता बहुत बढ़ गई
थी। इसी दौरान उनकी भेंट
एक तांत्रिक से हुई। राजा ने तांत्रिक को चिंता का कारण बताया।
तांत्रिक ने राजा को मुसीबतों से मुक्ति के लिए पशु बलि
देने का उपाय बताया। राजा ने तांत्रिक की बात पर भरोसा
करते हुए पशुओं की बलि देने का मन बना लिया।
इसके लिए एक बड़ा अनुष्ठान किया गया और बलि के लिए एक
भैंसे को बांधकर मैदान में खड़ा कर दिया गया।
संयोगवश उस समय में गौतम बुद्ध राजा अजातशत्रु के नगर
पहुंचे। बुद्ध ने देखा कि एक मूक पशु की गर्दन पर
मौत की तलवार लटक रही है तो उनका
मन करुणा से भर आया। वे राजा अजातशत्रु के पास पहुंचे।
बुद्ध ने एक तिनका राजा को देकर कहा कि राजन्,मुझे इसे तोड़कर
दिखाएं।
राजा ने तिनके के दो टुकड़े करके गौतम बुद्ध को दे दिए।
गौतम बुद्ध ने टूटे तिनके फिर से राजा को देकर कहा कि अब इन
दोनों टुकड़ों को जोड़कर दिखाएं।
गौतम बुद्ध की यह बात सुनकर अजातशत्रु अचंभित
रह गया।
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राजा ने कहा-टूटे तिनके कैसे जुड़ सकते हैं?
राजा का उत्तर सुनकर बुद्ध ने कहा कि राजन्,जिस तरह यह
तिनका तोड़ा जा सकता है,जोड़ा नहीं जा सकता।
उसी तरह मूक पशु को मारने के बाद आप उसे जिंदा
नहीं कर सकते। बल्कि इस जीव हत्या
से परेशानियां कम होने के बजाय और बढ़ती
ही हैं। आप ही की
तरह इस पशु को भी तो जीने का हक
है। जहां तक मुश्किलों का सवाल है तो इन्हें कम करने के
लिए बुद्धि और वीरता का सहारा लेना चाहिए।
असहाय प्राणियों की बलि मत दीजिए।
भगवान बुद्ध की ये बात सुनकर राजा अजातशत्रु
भी शर्मिंदा हो गया। राजा ने तत्काल पशु-बलि बंद
करने का आदेश दे दिया।
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